Wednesday, September 14, 2011

बड़ी मुश्किल से मगर दुनिया में दोस्त मिलते हैं...



ये कहाँ की दोस्ती है के बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारासाज़ होता कोई ग़मगुसार होता
-- मिर्ज़ा ग़ालिब

कभी कभी सोचती हूँ ग़ालिब साहब का एक अरसे पहले लिखा ये शेर आज के समय में भी कितना प्रासंगिक है... जब आप ज़िन्दगी के एक ऐसे बुरे दौर से गुज़र रहे हो कि कुछ ना सूझे, कुछ समझ ना आये... जब ग़म और ना-उम्मीदी के बादलों ने आपको घेर रखा हो... आप चाह कर भी इन हालातों से बाहर ना निकल पा रहे हों... घर वाले... बाहर वाले... सारी दुनिया के लोग सिर्फ़ और सिर्फ़ आपको उपदेश देने में लगे हों... और तो और आपके दोस्त भी आपको नसीहतें ही देने लगें तो मन झुंझला जाता है... ऐसे में दिल करता है कि कोई ऐसा दोस्त हो जो बस आपको सुन भर ले... कोई नसीहत ना दे... एक ऐसा दोस्त जिसके काँधे पर सिर टिका कर आप चुपचाप बैठे रहें... कुछ ना कहें फिर भी ख़ुद को बेहद हल्का महसूस करें... वो दोस्त जो आपकी परेशानियाँ नहीं बस थोड़ी सी ख़ामोशी बाँट ले... यकीन जानिये जिस किसी के पास ऐसे दोस्त होते हैं दुनियाँ में उनसे ज़्यादा ख़ुशनसीब और कोई नहीं होता...

दोस्ती... हमारी नज़र से देखिये तो दुनिया का सबसे ख़ूबसूरत रिश्ता... हर दुनियावी रिश्ते से बड़ा... शायद "प्यार" से भी बड़ा... जहाँ ना कोई स्वार्थ होता है, ना कोई नसीहत... दोस्त कभी जजमेंटल नहीं होते... आलोचनात्मक नहीं होते... हाँ आपका भला ज़रूर चाहते हैं, चाहते हैं कि आप हमेशा ख़ुश रहें और अगर आपमें कोई कमी है, कोई बुराई है तो वो सुधर जाये... पर इस सब के बावजूद आप जैसे भी हों आपके दोस्त आपको वैसे ही अपनाते हैं आपकी कमियों के साथ... आपकी नाकामियों के साथ... किसी भी हाल में वो आपको अकेला नहीं छोड़ते...

आज के मतलबपरस्त दौर में जब दुनिया के तमाम रिश्ते अपने मायने खोते जा रहे हैं... रिश्तों पर से आपका विश्वास डगमगाने लगा है... ऐसे दौर में भी दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिसने उम्मीद की लौ को जलाए रखा है... हर लड़खड़ाते कदम पर आपका हाथ थामा है... आपको वो सुकून दिया है वो हिम्मत दी है कि आप अकेले नहीं हैं... कोई है जो हर पल हर हाल में आपके साथ खड़ा है... आपका दोस्त !

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कल रात दो बेहद करीबी दोस्तों ने दो बिलकुल अलहदा सी बातें कहीं... एक ने दोस्ती का शुक्रिया अदा किया तो दूसरे ने हमसे दूर जाने कि बात कही... दोनों ही बातें दिल को छू गयीं... तो पहले दोस्त से बस इतना कहना है कि दोस्ती में शुक्रिया नहीं किया करते दोस्त और दूसरे से ये कि तुम्हारा मुझसे दूर जाना हम किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं कर सकते... ऐसा दोबारा फिर कभी ना सोचना ना कहना... "I really need u my friend... can't fight this situation alone... don't u ever dare think of going anywhere..."


तुमसे जब बात नही होती किसी दिन
ऐसे चुपचाप गुज़रता है सुनसान सा दिन
एक सीधी सी बड़ी लंबी सड़क पे जैसे
साथ-साथ चलता हुआ, रूठा हुआ दोस्त कोई
मुँह फुलाए हुए, नाराज़ सा, ख़ामोश, उदास

और जब मिलता हूँ हँस पड़ता है ये रूठा हुआ दिन
गुदगुदाकर मुझे कहता है, "कहो, कैसे हो यार"

-- गुलज़ार





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