Wednesday, January 14, 2015

ये सारे रँग तेरे रँग हैं...



- क्या हो गर मैं मिकोनोज़ के सफ़ेद गिरजे जैसे घरों पे एक बड़ी सी कूंची से ढेर सारे रँग छिड़क दूँ  ?

- तो.. ज़्यादा कुछ नहीं... तुम्हें पकड़ के मारेंगे वहाँ के लोग और पुलिस के हवाले कर देंगे... बस..

- हाय क्यूँ ?? किसी की बेरंग ज़िंदगी में रँग भरना कोई जुर्म है क्या ?

- नहीं... पर किसी के साफ़ सुथरे घर को ऐसे गन्दा करना कौन सा बड़ा पुण्य काम है ? और वैसे तुम्हें ये बे-सिर-पैर के खुराफ़ाती आइडियाज़ आते कहाँ से हैं ?

- हम्म... तुम जैसा नीरस इंसान नहीं समझ पायेगा... और काहे के साफ़ सुथरे जी...

- क्यूँ... देखो कैसे बर्फ़ से सफ़ेद हैं... दूर से ही चमक रहे हैं... साथ में... नीला सागर... नीला आकाश.. नीली खिड़कियाँ... बिलकुल किसी खूबसूरत पेन्टिंग सरीखे...

- ना... हमें तो ये हमेशा सूने सूने से लगते हैं... जैसे कोई बेस कोट कर के पेंटिंग बनाना भूल गया हो... इन्हें देख कर हमेशा एक बड़े से लाइफ साइज़ कैनवस का भ्रम होता है.. और दिल करता है बस रँग डालूँ इन्हें... ढेर सारे रंगों से...

- तुम पागल हो सच में :)

- हाँ तो :) मुझे तो ना इटली का बुरानो आइलैंड पसंद है... कैसा रँग बिरंगे घरों वाला द्वीप है... यूँ लगता है मानों किसी ने रँग बिरंगे फूलों से भरा पूरा एक बगीचा तैरा दिया हो पानी में...

- हम्म... तुम्हारी तरह... रँग बिरंगा...

- मैं कोई आइलैंड हूँ क्या... एक सीधी सादी साधारण लड़की हूँ...

- तुम क्या जानो... कितने किरदार बस्ते हैं तुम में... अपने आप में एक पूरी सभ्यता हो तुम...

- वाह... और तुम... मेरे मिकोनोज़ के बेरंग शहज़ादे... :)

- हाँ... तुम मुझमें यूँ ही रँग भरती रहना... हमेशा... :)

- अच्छा... आओ एक हग करो... अभी ट्रान्सफर कर देती हूँ आज के रँग :)

- हाहाहा... पागल...!

- हाँ... तुम्हारी... :):):)



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